तीसरा दिन- भगवान भरोसे 14-02-2020
चंडीगढ़ आईएसबीटी बस अड्डे से रास्ते के लिए खाने पीने की पूरी तैयारी करने के बाद, मनाली जाने वाले मार्ग पर पहुंच चुका हूं। 300 किलोमीटर का सफर लिफ्ट लेते हुए तय करना, कभी आशंकित तो कभी रोमांचित कर रहा है। लिफ्ट लेेते हुए घर से कभी 50 किलोमीटर दूर भी नहींं गया। आज इस अनजान रास्ते पर जाने का तय कर चुका हूं। यह बात सोच कर डर कम, रोमांच ज्यादा महसूस हो रहा है।
कभी किताबो को भी इतने ध्यान से नहीं पढ़ा होगा जितना, गूगल मैप को खंगाल डाला। तथा बीच में पड़ने वाले बड़े शहर या कस्बे जोकि रास्ते में है, उन्हें चिन्हित कर लिया। ताकि रात होने की स्थिति मैं वहा रुकने की व्यवस्था कर सकू। इसे ढंग से डायरी में लिख लिया। इससे मुझे रास्ते का बिल्कुल सही अंदाजा हो गया। साथ ही साथ मैने मेरे मेजबान साबी और कुछ दोस्तों के नंबर भी लिख लिए, क्योंकि यदि रास्ते में कुछ अनहोनी होती है या फोन बंद होता है। तो किसी का फोन लेकर मैं इनसे संपर्क कर लूंगा। वैसे यह स्थिति ना आए तो ही बेहतर है।
मैने कमर कस ली जाने के लिए। लिफ्ट लेने के लिए कोशिश करने लगा। सबसे पहले नालागढ़ जाने का तय किया जोकि 48 कि.मी. दूर है चंडीगढ़ से। अब दिक्कत यह आ रही है, कि मुझे लिफ्ट चाहिए नालागढ़ की और मेन सिटी में इतनी लंबी लिफ्ट मिलने में मुश्किल हो रही है। दो-तीन लोग रुके भी, पर कोई नालागढ़ नहीं जा रहा है। आधे घंटे के इंतजार के बाद एक मोटरसाइकिल रुकी। मैंने नालागढ़ के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया पर बीच रास्ते में छोड़ने के लिए राजी हो गए। मैं तुरंत तैयार हो गया सोचा शुरुआत तो करते हैं सफर की। पहली लिफ्ट 15 किलोमीटर की मिली।
उनके पूछने पर मैंने बताया मैं मनाली जा रहा हूं। लिफ्ट लेते हुए, यह जानकर उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ मुझे बसों की जानकारी देने लगे, और बताने लगे कि सीधा बस में निकल जाओ। बातों से लगा वो मुझे पागल समझ रहे है। मैंने उन्हें समझाया मैं हिच हाइक (HITCHHIKE) करते हुए जा रहा हूं। बमुश्किल उन्हें समझा पाया।
क्योंकि भारत में इस प्रकार घूमने का कल्चर काफी कम है। हर कोई सारी सुख सुविधा के साथ घूमना चाहता है। उन्होंने मुझे नालागढ़ जाने वाले रास्ते पर उतार दिया। यह सुझाव भी दिया है कि यहां से लंबी लिफ्ट मिलना मुश्किल है। बेहतर होगा, नालागढ़ किसी बस या टेंपो में बैठकर चले जाओ। वहां आसानी से लिफ्ट मिल जाएगी। मुझे यह सुझाव पसंद आया। उन्हें धन्यवाद बोल कर मै आगे निकल गया, लिफ्ट या बस लेने के लिए।
एक से डेढ़ किलोमीटर चलने के बाद एक पेट्रोल पंप पर रुक गया। क्योंकि पेट्रोल पंप, टोल टैक्स और भोजनालय से लिफ्ट मिलने का बहुत ज्यादा मौका होता है। यह भी मैंने यूट्यूब पर ट्रैवल वीडियोस में देखा था।
मुझे इसका रिजल्ट भी मिल गया, ज्यादा जतन नहीं करना पड़ा। मुश्किल से 15 मिनट ही इंतजार किया होगा। इतने में मुझे एक कार से लिफ्ट मिल गई। जोकि नालागढ़ के आगे तक जा रही है। चंडीगढ़ से निकलने के बाद यह पहली बार है की मेरी ही उम्र के युवक से लिफ्ट मिली है। जनाब का नाम सुमित है बातों ही बातों में मैंने उन्हें भी मेरी यात्रा के बारे बताया। वह काफी प्रेरित हुए और बताने लगे वो भी इसी तरीके से यात्रा करने की चाहत रखते हैं। मैंने उन्हें जयपुर आने का न्योता दे दिया। रास्ते में मुझे नाश्ता भी कराया और अपने नंबर भी दिए बोले, यदि कोई दिक्कत हो तो फोन करना।
यह यात्रा मुझे खुद को भी काफी आश्चर्यचकित कर रही है। क्योंकि बचपन से हमें, यही सिखाया है कि अनजान पर भरोसा मत करो। कोई मदद करे तो भी मना कर दो, खासकर यात्रा के दौरान। परंतु इस यात्रा में बचपन से सिखाई बातें, लोगों को देखते ही तुरंत धारणा बनाने की कला, मदद ना करने की प्रवृत्ति, सभी को टूटते हुए देखना काफी सुखद है। बातों ही बातों में 45 मिनट का सफर कब कट गया पता ही नहीं चला। सुमित नालागढ़ के आगे जा रहे हैं, मुझे भी आगे तक चलने के लिए बोला, पर वहां से आगे की लिफ्ट मिलना मुश्किल है, यह सोच के मै नालागढ़ बस स्टैंड ही उतर गया।
फोन तो जैसे मैं भूल ही गया हूं। बहुत जरूरी काम हो तो ही फोन ऑन कर रहा हूं। दोपहर के 1:00 बज चुके हैं, मैं मुख्य हाईवे पर आ गया। नालागढ़ पहुंचने की खुशी साफ झलक रही है। अब मुझे स्वारघाट के लिए लिफ्ट चाहिए, जो कि 32 किलोमीटर दूर है। यदि उससे भी आगे की मिल जाए तो, यह सोने पे सुहागा हो। इस तरह की यात्रा करते समय योजनाएं कितनी जल्दी ध्वस्त होती है, इसका पता मुझे अब चलने वाला है। जिस जगह से मुझे सबसे ज्यादा उम्मीद थी लंबी लिफ्ट मिलने की, वहां से लंबी तो छोड़ो कोई छोटी लिफ्ट भी नहीं मिल रही है। देखते ही देखते 1 घंटा गुजर गया। मेरे लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कोई चीज है, तो वह है समय। लिफ्ट ना मिलने पर मैं थक हारकर चाय पीने चला गया। चाय पीने के बाद नई ऊर्जा के संचार के साथ दोबारा लिफ्ट मांगना शुरू कर दिया।
हिच हाईक करते समय मन के भाव बहुत तेजी से बदलते हैं हर वाहन को देखते ही उम्मीद एकदम चरम पर पहुंच जाती है और वाहन नहीं रूकने पर धड़ाम से गिर जाती है। लगभग आने वाले हर वाहन के आगे हाथ देने के बाद आखिरकार एक मोटरसाइकिल रूकती है। पूछने पर पता चलता है कि 25 किलोमीटर आगे तक मुझे छोड़ देंगे। मैंने सोचा इस जगह को छोड़ना ही बेहतर है। स्वारघाट तो नहीं, थोड़ा पहले ही उत्तर जाऊंगा। मैं तुरंत पीछे बैठ जाता हूं।
लगभग 5-7 किलोमीटर तक कोई बात नहीं होती है। पर मेरी जिज्ञासा का कीड़ा कहां शांत बैठता है। मैंने चुप्पी तोड़ने के लिए सवाल पूछने लगा कहां रहते हो, क्या करते हो वगैरह वगैरह। जवाब सुनकर मेरे होश फाख्ता हो गए। महोदय स्वारघाट से पहले एक गांव में रहते हैं और अभी 5 दिन पहले ही 3 साल की सजा काटकर जेल से आए हैं। किसी झगड़े के केस में।अब मै चुप हो गया और वो बोलने लगे। मन में असंख्य सवाल आने लगे पर मैं एकदम शांत बैठा रहा। हालांकि उनकी बाते प्रायश्चित से भरी हुई है। पूरे सफर में अच्छे इंसान बनने की सलाह देते रहे और मैं हां में हां मिलता रहा। इस यात्रा में मुझे क्या क्या देखने को मिलेगा यह सोच कर बता ताज्जुब कर रहा हूं। हालांकि उन्होंने मुझे सही स्थान पर छोड़ दिया।
स्वारघाट अभी भी 7 किलोमीटर दूर है। मै आगे की लिफ्ट लेने के लिए सही स्थान की तलाश करने लगा 2 कि.मी. पैदल चलने के बाद एक भोजनालय पर रुक गया। इस उम्मीद में जो भी गाड़ी रुकेगी, उनसे पूछ लूंगा की वो मुझे आगे छोड़ देंगी क्या। लिफ्ट लेने में अब मै माहिर होने लगा हूं। हिच हाईक (HITCHHIKE) करने के नियम भी पता चल रहे है। मेरा धैर्य भी बढ़ने लगा। इस तरह की यात्रा में जल्दी बाजी नहीं कर सकता।थोड़ी देर इंतजार करने के बाद मुझे फिर से लिफ्ट मिल गई।
अबकी बार मुझे अबतक की सबसे लंबी लिफ्ट मिली है। पूरे 50 कि.मी. की में बेहद खुश हो गया। लिफ्ट देने वाले का नाम विक्रम है। इन्होंने पहन रखी टोपी हिमाचल में लगभग हर कोई पहनता है। यह टोपी एक तरीके से राजस्थान में पहनने वाली पगड़ी की तरह है। स्वारघाट से रास्ता चढ़ाई का शुरू हो जाता है। जिस रास्ते का मैं अब तक इंतजार कर रहा था। वह अब जाकर आया है। विक्रम ने मुझे गाने सिलेक्ट करने के लिए खुद का फोन दे दिया। इससे सफर में में चार चांद लग गए।
बहुत ही ज्यादा खूबसूरत रास्ता है, लगता है प्रकृति ने खूबसूरती दोनों हाथो से खुलकर लुटाई हो। इतनी ऊंचाई पर यात्रा करने का यह मेरा पहला अनुभव है। मैं किसी बच्चे की भांति रास्ते को देख रहा हूं। हर मोड़ के बाद मुझे कुछ नया देखने को मिल रहा है। खूबसरत रास्ता होने के साथ साथ यह काफी खतरनाक भी है। यदि एक चूक हो जाए तो गाड़ी सीधी खाई में गिर जाए। जितने रोमांच की मैने उम्मीद की थी उससे कई ज्यादा महसूस हो रहा है।
शाम भी ढल रही है, पहाड़ों में सूर्यास्त देखने का नजारा कभी ना भूलने वाला है। चुकी विक्रम हिमाचल का है। उसने मुझे आगे के रास्ते के बारे में काफी जानकारी दी। यह सुझाव भी दिया रात में लिफ्ट लेकर यात्रा न करू।
जैसे जैसे समुद्र तल से ऊपर जा रहा हूं, तापमान बहुत तेजी से गिर रहा है। इन वादियों में सूरज भी बहुत जल्दी डूब रहा है। 50 कि.मी. का सफर तय करने में ढाई घंटे लग गए। अंततः विक्रम ने मुझे सही स्थान पर उतार दिया। बिलासपुर के लिए मुझे एक बाइक से लिफ्ट मिल गई। 20 कि.मी. के सफर को तय करने में, मेरी हालत सर्दी से खराब हो गई। एक बार भी गर्दन ऊपर उठाकर नहीं देखा सिर झुका कर बैठा रहा। बिलासपुर पहुंचते ही एक भोजनालय पर 20 मिनट तक तपने लगा। फोन को चार्ज करने की सोचने लगा। तपते हुए लोगों से तुरंत जानकारी कर ली और एक व्यक्ति से चार्जर भी ले लिया। दिक्कत वहीं चार्जर C- टाइप का नहीं है। पर
भाग -4 में संजीवनी (कन्वर्टिबल) के बारे में तो बताया ही है। उसे लगा कर मैंने फोन चार्ज कर लिया।
थकान हावी होने लगी है। सफर करते हुए 11 घंटे हो गए है और आराम एक मिनट भी नहीं किया। फोन केवल गूगल मैप के लिए काम आ रहा है। साबी को भी फोन करके बताया आने में टाइम लगेगा। योजना में तब्दीली करने की जरूरत महसूस होने लग रही है। क्योंकि अभी भी 180 किलोमीटर का सफर बाकी है और यह लिफ्ट लेते हुए तय करना वह भी आज रात में मुश्किल लग रहा है। मैं जाने के दूसरे तरीके देखने लगा।
शुरुआत के भाग
कौन इस तरीके से घूमना चाहता है। कृपया कॉमेंट बॉक्स में अपनी राय दे।
Gjb. Bro...... awesome
जवाब देंहटाएं👍👍
हटाएंFull of thrill amd adventures
जवाब देंहटाएं👍👍
हटाएंOsm bro
जवाब देंहटाएंThanks bro
हटाएंNice bna i
जवाब देंहटाएंLajwaab ladke
जवाब देंहटाएंAgke bhag ka intejaar
Bilkul bhai
हटाएंAmazing experience man... If I get a chance I really want to go on hitchhiking... Truly amazing 😍👍
जवाब देंहटाएंThanks. Do share with your friends.
हटाएंभैया ऐसी यात्रा के बारे में पढ़ने में विशेष आनंद की अनुभूति हो रही है, लिखते रहे पढ़ने में आनंद आ रहा है ।
जवाब देंहटाएंBilkul , aapka bhi haat hai es yatro safal karane me pawan🙏🙏
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