यात्रा की शुरुआत। पहला दिन -12 फरवरी 2020
मध्यमवर्गीय परिवारों में सरकारी नौकरी का महत्व बहुत अधिक है। तैयारी करते समय घूमने का सोचना भी पाप होता है, परन्तु प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं को तो पता ही है, परीक्षाओं की तिथि का अनुमान तो शायद भगवान भी नहीं लगा सकते। हम किस खेत की मूली है।
एक साल रेलवे की तैयारी करने के बाद जब परीक्षा की तिथि नजदीक ना दिखी तो मैने भी मन बना लिया घुमक्ककड़ी का, पर कोई तैयार ही नहीं है। अब मुझे इंतज़ार है तो सिर्फ मौके का पर आसार नजर नहीं आ रहे है।
12 फरवरी 2020
की सुबह मेरे मित्र मनोज का फोन आता है, जो कि दिल्ली में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है। उसने बताया कि उसका तबादला पंजाब हो गया है, इसके लिए उसे तीन दिन का अवकाश मिला है और साथ ही साथ दिल्ली घूमने का न्योता भी दे दिया। मुझे जिस मौके कि तलाश थी वो मिल गया, मैने तुरंत हामी भर दी और आनन फानन में सामान पैक करके, दोपहर की ट्रेन में लद के जयपुर से निकल गया दिल्ली के लिए,।
दोस्त के पास जाने और तीन दिन घूमने के उत्साह में, मैने ज्यादा सामान भी नहीं लिया। ट्रेन में पता चला में चार्जर तो जयपुर ही भूल आया हूं, मुझे इस भूल पर ज्यादा अफसोस नहीं हुआ। क्योंकि मनोज के पास भी C-टाइप चार्जर है। पर ये मेरी सबसे बड़ी भूल होने वाली है। रात नौ बजे में दिल्ली कैंट पहुंचा. ।
स्टेशन से फ्लैट का रास्ता 30 मिनट का है, परन्तु दिल्ली में प्रदुषण कि मात्रा का अंदाज़ा वहीं जाकर लगता है। हालांकि जयपुर भी पीछे नहीं है, प्रदुषण के मामले में पर दिल्ली अलग ही स्तर पर है। ट्रैफिक के तो क्या ही कहने। मेरे जैसे ग्रामीण परिवेश के शुद्ध वातावण में बड़े हुए युवक की हालत प्रदुषण से खराब हो गई। थोड़ी देर में फ्लैट पर पहुंच गया, मनोज ने पहले से ही खाना मंगवा रखा था। काफी देर तक बातें करने के बाद। उसने बताया कि शाम को उसके दफ्तर से सूचना आयी, कि उसकी ड्यूटी चुनाव में ईवीएम चेक करने में लगा दी गई है। यह सुनते ही में सोच पड़ गया।
में सोच रहा था घूमने का क्या होगा, घूमने के सपने काफुर होते दिखे। मैने तय किया दिल्ली रुकने का फायदा नहीं तीन दिन, क्योंकि मनोज ड्यूटी पर और मैं फ्लैट में पड़ा रहता।
सोचा क्यों ना कोटद्वार (उत्तराखंड )चला जाऊ, लोकेश(मनोज के मामा का लड़का) के पास। उस से भी मिले बहुत दिन हो गए है। रात को ही मन लिया सुबह कोटद्वार के लिए निकल जाऊंगा। यह सोचते सोचते ही नींद आ गईं।
आगे के भागो का लिंक
Nice memori story
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएं💞🙈🙈🙈😘
जवाब देंहटाएं👍👍👍
हटाएंThat time was a hard time but it makes you a itinerant😇. say thanks to ur friend & that day too😜
जवाब देंहटाएंAbsolutely, i am always grateful to him
हटाएंIt was awesome
जवाब देंहटाएंWait for next parts
हटाएंAmazing post
जवाब देंहटाएंInspire by you🙏
हटाएंSuperb bhaiya keep writing we support you
जवाब देंहटाएंThanks 😊
हटाएंमनोज भाई की मित्रता के मामले में सच में आप क़िस्मत वाले हैं!
जवाब देंहटाएंजिस चुनाव ड्यूटी का आपने ज़िक्र किया है, उसमें वह हमारे टीम-लीडर (को-आर्डिनेटर) रह चुके हैं!
बहुत मृदुल व्यवहार और कर्तव्य निष्ठा के धनी!
इश्वर आप की दोस्ती ज़िंदाबाद रखे ����
अपनी रोमांचक यात्रा-अनुभव साझा करने के लिए धन्यवाद!
(आफ़ाक़)
बहुत बहुत आभार, आने वाले भाग को भी जरूर पढ़े।
हटाएंजी अवश्य!
हटाएंअति उत्तम वर्णन किया है आपने आपकी यात्रा का.. दिल को बहुत प्रसन्नता हुईं य़ह पडके... आपके आगे की कहानियों का इंतज़ार रहेगा.....
जवाब देंहटाएंDhanyawad bhai, jald hi milega nya bhag aane waali yatra ka
हटाएंOp
जवाब देंहटाएंहाय अभिलाष कैसा है, मैंने तेरे 2-3 ब्लॉक्स पढ़ें हैं। बहुत अच्छा लिखता है बहुत अच्छी skill है तुम्हारे पास keep it up
जवाब देंहटाएंभाई अच्छा हूं। पूरे ब्लॉग्स पढ़ना भाई और धन्यवाद।
हटाएंSuper
जवाब देंहटाएंSuper
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